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September 2024

सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) | भारतीय इतिहास (Indian History)

सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) | भारतीय इतिहास (Indian History)

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सिंधु घाटी सभ्यता

सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) | भारतीय इतिहास (Indian History)
सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) | भारतीय इतिहास (Indian History)

सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) | भारतीय इतिहास (Indian History)

इतिहास का परिचय

  • इति का अर्थ होता है "बिल्कुल ऐसा"
  • हास का अर्थ होता है "घटित हुआ था"

इतिहास का वर्गीकरण

  1. प्रागैतिहासिक काल
  2. आद्य प्रागैतिहासिक काल
  3. ऐतिहासिक काल

प्रागैतिहासिक काल

  1. पुरापाषाण काल
  2. मध्य पाषाण काल
  3. नवपाषाण काल

आद्य प्रागैतिहासिक काल

  • इसका कोई वर्गीकरण नहीं है।

ऐतिहासिक काल

  1. प्राचीन भारत
  2. मध्यकाल
  3. आधुनिक काल

प्राचीन भारत

  1. सिंधु घाटी सभ्यता
  • 2400 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व।
  1. वैदिक सभ्यता
  • 1700 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व
  1. बौद्ध धर्म जैन धर्म
  2. मौर्य काल
  3. गुप्त काल
  4. भारत पर विदेशियों काआक्रमण

सिंधु घाटी सभ्यता

  • इस सभ्यता के बारे में सर्वप्रथम चार्ल्स मैसन ने 1828 में बताया।
  • सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से जाना जाता है।
  • हड़प्पा सभ्यता रावी नदी के तट पर स्थित है।
  • हड़प्पा सभ्यता की खोज दयाराम साहनी ने की थी।
  • हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 में हुई।

मोहनजोदड़ो

  • मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में हुई थी।
  • मोहनजोदड़ो की खोज राखलदास बनर्जी ने की थी।
1861 में कनिंघम द्वारा इन सभ्यताओं की पुष्टि की गई।
  • इस सभ्यता के अंतर्गत सर्वप्रथम 1921 में दयाराम साहनी द्वारा हड़प्पा शहर ढूंढा गया।
  • हड़प्पा शहर वर्तमान में पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित है।
  • अगले साल ही 1922 में राखल दास बनर्जी द्वारा मोहनजोदड़ो शहर की खोज की गई।
  • विश्व पटेल के सामने इस सभ्यता को लाने का श्रेय जॉन मार्शल को जाता है।

सिंधु घाटी सभ्यता का कालक्रम

  • विद्वानों ने सिंधु घाटी सभ्यता का कालक्रम अलग-अलग बताया है।
  • वैज्ञानिक तकनीक कार्बन डेटिंग पद्धति के आधार पर सिंधु घाटी सभ्यता का कालक्रम 2400 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व माना गया है।

सिंधु घाटी के समकालीन सभ्यताएं

  1. सुमेरियन सभ्यता यूरोप से संबंधित है।
  2. मेसोपोटामिया की सभ्यता इराक से संबंधित है।
  3. मिश्रा की सभ्यता नील नदी के तटपर स्थित है।
  4. चीन की सभ्यता

सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं

  • नगरीय सभ्यता।
  • नगरी सभ्यता से संबंधित विभिन्न प्रमाण प्राप्त हुए।
  • नगरीय व्यवस्था की सभ्यता के नाम से प्रसिद्ध।

विशेष साक्ष

  1. दुर्गा के साक्ष्य प्राप्त हुए।
  2. मकान का निश्चित अनुपात वाली पक्की और कच्ची ईटों से बना होना।
  3. सड़कों का ग्रिड प्रणाली में होना और एक दूसरे को समकोण पर काटना।
  4. शहरों में उचित जल निकासी होना, पक्की नालियों की व्यवस्था।
  5. इस प्रकार सिंधु घाटी सभ्यता को नगरीय सभ्यता बताया गया।

सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक जीवन

  • सिंधु सभ्यता के लोग धार्मिक प्रवृत्ति के थे।
  • कुछ प्रमाण जो सेंधव लोगों को धर्मिक बताते हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक प्रमाण के उदाहरण

  • भारी मात्रा में मात्र देवी की मूर्तियों का मिलना।
  • इस प्रकार इन्हें मातृ सत्तात्मक बताया गया।
  • सेंधव लोग प्रकृति पूजक थे।
  • यह लोग वृक्ष पूजा धरती पूजा और योनि पूजा करते थे और इससे संबंधित साक्ष मिले।
  • मोहनजोदड़ो से एक मुद्रा प्राप्त हुई जिस पर पशुपतिनाथ जी की आकृति अंकित है।
  • पशुपतिनाथ के तीन सिंग है।
  • पवित्र पशुओं में सबसे पवित्र श्रृंगी पशु को माना गया।
  • दूसरा पवित्र पशु कूबड़ वाला बैल था।
  • पवित्र पक्षी फाख्ता था।
  • सेंधव लोग अंधविश्वासी भी थे।
  • सेंधव लोगो से जादू टोने ताबीज गंडे के प्रमाण मिले हैं।
  • अंतिम संस्कार में पूर्ण शवाधान, आंशिक शवाधान और दाह संस्कार के प्रमाण मिले।
  • यज्ञ और हवन के लिए अग्नि वेदीया मिली।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का सामाजिक जीवन

  • समाज वर्णों में विभक्त था।
  1. योद्धा, राजा और सैनिक सम्मिलित
  2. शिक्षक, पुरोहित ज्योतिष और वेद्य सम्मिलित।
  3. व्यापारी, लुहार सुनार मनके बनाने वाले सम्मिलित।
  4. मजदूर, कृषक और श्रमिक सम्मिलित।
  • सेंधव लोग मनोरंजन प्रेमी थे।
  • मनोरंजन के लिए बड़े-बड़े आयोजन होते, इन आयोजनों के लिए स्टेडियम के साक्ष मिले।
  • लोग नृत्य प्रेमी थे, मोहनजोदड़ो से नर्तकी की कांसे की मूर्ति प्राप्त हुई।
  • यह लोग सर्वाहारी थे।
  • वस्त्रों का उपयोग करते थे।
  • आभूषणों का, सौंदर्य प्रसाधन का उपयोग किया जाताथा।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का आर्थिक जीवन

  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कृषि करते थे।
  • यह लोग गेहूं जो चावल इत्यादि फसल उगाते थे।
  • जूते हुए खेत और वृहद अन्नागार इस और इशारा करते हैं।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग धातुओं से परिचित थे।
  • ये लोग तांबा कांसा सोना चांदी आदि आभूषणों का व्यापार किया करते थे।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग लोहे से परिचित नहीं थे।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग पशुपालन करते थे।
  • बैल हाथी कुत्ता बिल्ली खरगोश भैसा इत्यादि से परिचित थे।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग घोड़े से परिचित थे।

सिंधु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था

इस सभ्यता में राजनीतिक व्यवस्था का अभाव था।
सता की बागडोर व्यापारियों के हाथ में थी।

सिंधु घाटी सभ्यता की लेखन शैली

  1. सिंधु घाटी सभ्यता के लोग लेखन शैली का उपयोग करते थे।
  2. विभिन्न प्रमाणों में 500 अक्षर प्राप्त हुए।
  3. यह भावाक्षर अक्षर या चित्र अक्षर शैली में लिखते थे।
  4. इस शैली में एक लाइन बाएं से दाएं तथा दूसरी लाइन दाएं से बाएं लिखी होती थी।
  5. इस लिपि को सर्पीलाकर लिपि से अथवा ब्रुस्टोफेदन लिपि के नाम से जाना गया।

सिंधु घाटी सभ्यता का अंत

इस सभ्यता के अंत के प्रमुख कारण निम्न है -
  1. राजनीतिक व्यवस्था का अभाव
  2. निरंतर प्राकृतिक आपदाओं का आना।
  3. भारत में वैदिक आर्यों का आगमन
  4. सुदृढ़ धार्मिक जीवन का अभाव।
  • हजार साल तक यह सभ्यता चली इसके पश्चात इस सभ्यता का अंत हो गया। इस सभ्यता के बाद वैदिक संस्कृति अस्तित्व में आई।

सिंधु घाटी सभ्यता के पूरा स्थल

भारत के प्रमुख स्थल

  1. मांडा, जम्मू कश्मीर (चिनाब नदी के किनारे)
  2. रोपड़, पंजाब
  3. राखी घड़ी, हरियाणा
  4. कालीबंगा और पीलीबंगा, राजस्थान
  5. गुजरात
  • A. धोलालाविरा
  • B. लोथल
  • C. सुत्काकोट
  • D. रंगपुर
  • E. सुरकोटड़ा
  1. दैमाबाद, महाराष्ट्र
  2. अलमगीरपुर, उत्तर प्रदेश

पाकिस्तान के प्रमुख स्थल

  1. हड़प्पा सभ्यता
  2. मोहनजोदड़ो
  3. अल्लादिनों
  4. कोटदी जी
  5. सुत्कागैनडोर
  6. चन्हूदडो

अफगानिस्तान के प्रमुख स्थल

  1. रहमान ढेरी
  2. कीले गुल मकई
  3. कीले गुढ़ई
  4. हड़प्पा पुरा स्थल
  • हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 में दयाराम साहनी के द्वारा की गई।
  • हड़प्पा सभ्यता नामक स्थल पाकिस्तान के मोंट गोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है।
  • हड़प्पा नामक स्थल पर विशाल नगर मिले हैं।
  • R37 सामूहिक कब्रिस्तान हड़प्पा स्थल पर ही मिला है।
  • स्वास्तिक का निशान इसी हड़प्पा स्थल से मिला है।
  1. मोहनजोदड़ो पुरा स्थल
  • खोज 1922 में राखल दास बनर्जी के द्वारा।
  • वर्तमान में पाकिस्तान में सिंध प्रांत में लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित है।
मोहनजोदड़ो के अन्य नाम
  • मृतकों का टीला
  • सिंधु वाला बाग
  • नखलिस्थान
  • इस स्थल पर विशाल स्नानागार मिले।
  • मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी संरचना अन्नागार है।

अन्य साक्ष्य

  • सेलखड़ी की दाढ़ी वाले युवक की मूर्ति प्राप्त हुई।
  • कांसे की देवदासी की मूर्ति प्राप्त हुई।
  • तांबे का रथ प्राप्त हुआ।
  • महाविद्यालय भवन, पुरोहित आवास प्राप्त हुआ।
  1. कालीबंगा पुरा स्थल
  • 1953 में अमलानंद घोष के द्वारा खोज की गई।
  • वर्तमान में राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में, घग्गर नदी के किनारे स्थित।
  • जुते हुए खेतों के शख्स मिले।
  • भूकंप के साक्ष्य मिले।
  • एक पल्ले वाला दरवाजा मिला।
  • मिट्टी की काले रंग की चूड़ियां मिली।
  • अग्निवेदिया मिली।
  • 1 साल में दो फसल उगाने के साक्ष्य मिले।
  • इतिहासकारों ने इसे तीसरी राजधानी कहा।
  • युगल शवाधान के साक्ष्य मिले।
  1. लोथल पुरा स्थल
  • 1955 में एस आर राव के द्वारा खोज।
  • गुजरात में भोगवा नदी के किनारे स्थित।
  • लघु मोहनजोदड़ो को लघु हड़प्पा भी कहा जाता है।
  • प्रमुख साक्ष्य के रूप में बंदरगाह, शहर, गोड़ीवाड़े (जहाज रुकने व मरम्मत का स्थान) मिले।
  • चित्रित मृदभांड मिले (एक लोमड़ी का चित्र जो पंचतंत्र की कहानी से संबंधित है।)
  • अग्निवेदिया प्राप्त हुई।
  • विदेशी मुहरे व मुद्रा प्राप्त हुई।
  1. चन्हुदडो पुरा स्थल
  • 1931 में एम जी मजूमदार के द्वारा खोज।
  • बलूचिस्तान पाकिस्तान में सिंधु नदी के तट परस्थित।
  • एकमात्र शहर जहां दुर्ग के साक्ष्य नहीं मिले।
  • झुकर व झाकर संस्कृति।
  • मनके बनाने का कारखाना।
  • तांबे को गलाने की भट्टिया।
  • बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजे के निशान मिले।
  • लिपस्टिक के साक्ष्य मिले।

प्रमुख साक्ष्य तथा उनके प्राप्ति स्थल

  • सूती कपड़े के साक्ष्य, मोहनजोदड़ो से मिले।
  • जहाज के निशान वाली मोहर, मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई।
  • कांसे का पैमाना, मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुआ।
  • वृषभ मुद्रा (कूबड़ वाला बैल), मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई।
  • पाशुपति शिव प्रतिमा, मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई।
  • R37 कब्रिस्तान, सामूहिक कब्र हड़प्पा से प्राप्त हुई।
  • सर्वाधिक मातृ देवी की मूर्तियां, हड़प्पा से प्राप्त हुई।
  • लकड़ी की नाली, कालीबंगा से प्राप्त हुई।
  • घोड़े का कंकाल, सुरकोटडा से प्राप्त हुआ।
  • मनके बनाने का कारखाना, चन्हूदड़ो से प्राप्त हुआ।
  • चावल की खेती, लोथल से प्राप्त।
  • गेहूं की खेती, रंगपुर (अहमदाबाद) से प्राप्त।
  • जौ की खेती, बनावली अथवा बनवाली हरियाणा से प्राप्त।

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सिंधु घाटी सभ्यता क्या है?

  • सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है और यह ग्रिड प्रणाली पर आधारित व्यवस्थित योजना के लिए प्रसिद्ध है। सिंधु घाटी सभ्यता एक कांस्य युगीन सभ्यता थी जो आज के उत्तर-पूर्वी अफगानिस्तान से पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत तक फैली हुई थी। यह सभ्यता सिंधु और घग्गर-हकरा नदी के घाटियों में फली-फूली।

सिंधु घाटी सभ्यता में कितने नगर थे?

  • सिंधु घाटी सभ्यता के दो प्रमुख स्थल हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नामक दो नगर थे, जिनमें से हड़प्पा उत्तर में और मोहनजोदड़ो दक्षिण में सिंधु नदी के तट पर बसे हुये थे। ये दोनों नगर सुंदर नगर नियोजन की कला के प्राचीनतम उदाहरण थे।

हड़प्पा की खोज कब और किसने की थी?

  • हड़प्पा रावी नदी के तट पर स्थित है। अधिकांश हड़प्पा स्थल अर्ध-शुष्क भूमि में स्थित हैं, जहाँ संभवतया कृषि के लिए सिंचाई की आवश्यकता थी। हड़प्पा की खोज पुरातत्वविद् दयाराम साहनी ने की थी। उन्होंने 1921 और 1922 में हड़प्पा में सिंधु घाटी स्थल की खुदाई का पर्यवेक्षण किया।

राजस्थान की जनसंख्या, साक्षरता, लिंगानुपात, परिवहन | Rajasthan Geography (राजस्थान का भूगोल)

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राजस्थान की जनसंख्या, साक्षरता, लिंगानुपात, परिवहन
राजस्थान की जनसंख्या, साक्षरता, लिंगानुपात, परिवहन

राजस्थान की जनसंख्या

  • राजस्थान में प्रथम जनगणना 1872 में लॉर्ड मेयो के समय हुई।
  • प्रथम दशकीय जनगणना 1881 में लॉर्ड रिपन के समयहुई।
  • स्वतंत्रता के पश्चात जनगणना 1951 में हुई।
  • एकीकरण के बाद प्रथम जनगणना 1961 मेंहुई।
राजस्थान में ग्रामीण जनसंख्या 75 .1% है।
राजस्थान में नगरीय जनसंख्या 24.9% है।

राजस्थान में साक्षरता

  • साक्षरता अक्षर ज्ञान से संबंधित है।
  • कोटा जयपुर झुंझुनू इत्यादि साक्षरता के मामले में शीर्ष पर है।
  • जालौर सिरोही प्रतापगढ़ बांसवाड़ा साक्षरता के मामले में निम्नतम है।

राजस्थान में लिंगानुपात

  • प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या।
  • डूंगरपुर राजसमंद पाली प्रतापगढ़ में सर्वाधिक लिंगानुपात है।
  • धौलपुर जैसलमेर करौली भरतपुर में न्यूनतम लिंगानुपात है।
  • राजस्थान में ग्रामीण लिंगानुपात 933 है।
  • राजस्थान में नगरी लिंगानुपात 914है।
  • राजस्थान का कुल लिंगानुपात 928 है।
0 से 6 आयु वर्ग अर्थात शिशु लिंगानुपात 888 है।
राजस्थान में ग्रामीण शिशु लिंगानुपात 892 है।
राजस्थान में नगरी शिशु लिंगानुपात 874 है।

राजस्थान में परिवहन

परिवहन के प्रकार

  1. सड़क परिवहन
  2. रेल परिवहन
  3. वायु परिवहन

सड़क परिवहन के प्रकार

  1. राष्ट्रीय राजमार्ग
  2. राज्य राजमार्ग
  3. एक्सप्रेस हाईवे
  4. जिला सड़क
  5. मुख्य सड़क
  6. ग्रामीण सड़क

स्वर्णिम चतुर्भुज योजना

  • दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल गलियारे से संबंधित।
  • राजस्थान में इसकी लंबाई 722 किलोमीटर है।

उत्तर दक्षिण गलियारा

  • जम्मू कश्मीर को कन्याकुमारी से जोड़ता है।
  • राजस्थान में 28 किलोमीटर जो कि धौलपुर से निकलता है।

पूर्व पश्चिम गलियारा

  • पोरबंदर गुजरात को असम से जोड़ता है।
  • राजस्थान में 528 किलोमीटर।

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राजस्थान की 2024 में जनसंख्या कितनी होगी?

  • राजस्थान की आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी और 2021 की अगली जनगणना 2024 तक स्थगित कर दी गई है। वर्तमान अनुमानित जनसंख्या लगभग 8.36 करोड़ है।


जनसंख्या की दृष्टि से देश में राजस्थान का कौनसा स्थान है?

  • राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान को पर्यटन नगरी के नाम से भी जाना जाता हैं। यहाँ कम जनसंख्या घनत्व के कारण जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सातवाँ सबसे बड़ा राज्य है।


2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर कितनी थी?

  • राजस्थान की जनगणना 2011 के अनुसार, जो इसे भौगोलिक दृष्टि से देश का सबसे बड़ा क्षेत्र बनाती है, प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या घनत्व लगभग 200 है और यह राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है। इसी तरह, ग्रामीण राजस्थान में साक्षरता दर 61.44% थी। उनके लिए, पुरुष और महिला साक्षरता दर क्रमशः 76.16% और 45.8% है


राजस्थान में वर्तमान में साक्षरता दर कितनी है?

  • राजस्थान की साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत 74.04 प्रतिशत से कम है और इसकी महिला साक्षरता दर दुनिया में सबसे कम है, फिर भी साक्षरता दर बढ़ाने के प्रयासों और उपलब्धियों के लिए राज्य की सराहना की गई है। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर पुरुषों के लिए 76.16 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 45.8 प्रतिशत है।


राजस्थान में 1000 लड़कों पर कितनी लड़कियां हैं?

  • सही उत्तर 928 है। राजस्थान में 2011 की जनगणना के अनुसार, 928 महिलाओं की संख्या का 1000 पुरुषों का लिंगानुपात है।


राजस्थान की कुल प्रजनन दर कितनी है?

  • - कुल प्रजनन दर 2.0 जबकि राष्ट्रीय औसत 2.0 है।


राजस्थान में परिवहन के मुख्य साधन कौन से हैं?

  • बसें, पर्यटक टैक्सी और ऑटो सड़क परिवहन के मुख्य साधन हैं। राजस्थान में पहली सरकारी बस सेवा 1952 में टोंक जिले में शुरू की गई थी। राजस्थान सरकार द्वारा 1994 में सड़क नीति घोषित की गई थी, जिसे 2002 में संशोधित कर 28 अप्रैल, 2002 को नई सड़क नीति घोषित की गई।


राजस्थान में कुल कितने परिवहन जिले हैं?

  • प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, जयपुर एवं जोधपुर के पदों पर राज्य प्रशासनिक सेवा वर्ग के अधिकारी पदस्थापित है तथा शेष पर परिवहन सेवा के अधिकारी कार्यरत है। जिलों में परिवहन सम्बंधी कार्याे के सुचारू रूप से सम्पादन के लिए विभाग में कुल 78 जिला परिवहन अधिकारी, 296 परिवहन निरीक्षक एवं 375 परिवहन उप निरीक्षक के पद सृजित है ।
वन एवं वन्य जीव अभ्यारण और राजस्थान का पर्यटन | Rajasthan Geography (राजस्थान का भूगोल)

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वन एवं वन्य जीव अभ्यारण और राजस्थान का पर्यटन
वन एवं वन्य जीव अभ्यारण और राजस्थान का पर्यट

वन एवं वन्य जीव अभ्यारण

  1. आरक्षित वन
    पूर्णतः प्रतिबंधित होते हैं।
    वन्य जीव तथा राष्ट्रीय उद्यान शामिल।
  2. सरक्षित वन
  • आंशिक प्रतिबंध होते हैं।
  • मृग वन तथा आखेट क्षेत्र।
  1. अवर्गीकृत वन
  • लकड़ी काटने तथा पशु चारण जैसी गतिविधियां शामिल।
  • पवित्र वन उपवन शामिल।

जलवायु के आधार पर वनों का वर्गीकरण

  1. शुष्क मरुस्थलीयवन
  2. मानसूनी पतझड़ वन
  3. मिश्रित पतझड़ वन
  4. शुष्क सागवान वन
  5. उपोषण सदाबहार वन

वनस्पति वन

  • सालर वन उदयपुर में स्थित है।
  • पलाश वन राजसमंद में स्थित है।
  • चंदन वन हल्दीघाटी में स्थित है।

राजस्थान के प्रमुख वनस्पति

  1. खेजड़ी
  • इसका वैज्ञानिक नाम प्रोसेसिप सिनेरिया हैं।
  • 31 अक्टूबर 1983 को राज्य वृक्ष का दर्जा दिया गया।
  • चिपको आंदोलन का आदर्श वृक्ष खेजड़ी घोषित किया गया।
  • 1991 में ऑपरेशन खेजड़ा प्रारंभ हुआ, जिसका उद्देश्य मरुस्थलीकरण को रोकना था।

सांस्कृतिक महत्व

  • खेजड़ी को पौराणिक कथाओं में शमी वृक्ष के नाम से जाना गया।
  1. महुआ
  • शराब तथा कोटम प्रथा के रूप में उपयोगी।
  1. पलास
  • ब्यूटीया मोनोस्पर्मा वैज्ञानिक नाम है।
  • जंगल की आग के नाम से प्रसिद्ध।
  1. तेंदू
  • पत्ती से बीड़ी बनाई जाती है।
  • वन आधारित उद्योग।
  • 1974 में राष्ट्रीयकरण

कुछ महत्वपूर्ण अभ्यारण

  1. गजनेर अभ्यारण बीकानेर में स्थित है।
  2. राष्ट्रीय मरू उद्यान
  • जैसलमेर में स्थित है।
  • इसकी स्थापना 1981 में हुई।
  • गोडावण यहां का प्रसिद्ध है।
  1. माउंट आबू सिरोही, जंगली मुर्गा के लिए प्रसिद्ध।
  2. फुलवारी की नाल अभ्यारण, उदयपुर जयसमंद के समीप स्थित।
  3. सीता माता अभ्यारण
  • प्रतापगढ़ में स्थित है।
  • उड़न गिलहरी पाई जाती है।
  • सागवान की अधिकता।
  1. भैसरोडगढ़ बस्सी अभ्यारण
  2. शेरगढ़ अभ्यारण,
  • बारा में स्थित है।
  • परवन नदी के किनारे स्थित है।
  1. जवाहर सागर अभ्यारण, मगरमच्छ की प्रजनन स्थल।
    कोटा में स्थित है।
  2. दर्रा अभ्यारण अथवा मुकुंदरा हिल्स
  • कोटा में स्थित।
  • 2003 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
  • तीसरी बाघ परियोजना से संबंधित।
  • गांगरोनी तोते के लिए प्रसिद्ध।
  1. चंबल अभ्यारण
    मगरमच्छ तथा घड़ियाल के लिए प्रसिद्ध।
    मध्य प्रदेश राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में फैला हुआ।
  2. रणथंबोर अभ्यारण तथा सवाई मानसिंह अभ्यारण
  • 1980 में स्थापित।
  • राजस्थान की प्रथम बाघ परियोजना यहीं से शुरू हुई।
  1. केला देवी अभ्यारण,करौली में स्थित।
  2. रामसागर केसर बाघ अभ्यारण, करौली में स्थित
  3. केवलादेव पक्षी विहार
  • भरतपुर में स्थित।
  • राजस्थान का दूसरा राष्ट्रीयउद्यान।
  • 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
  • यूनेस्को की प्राकृतिक विश्व धरोहर में शामिल।
  • दूसरी रामसर साइट।
  • साइबेरियन सारस के लिए प्रसिद्ध।
  1. सरिस्का अभ्यारण,
  • अलवर में स्थित।
  • हरे कबूतर के लिए प्रसिद्ध।
  1. नाहरगढ़ अभ्यारण
  • पहला जैविक पार्क।
  1. ताल छापर अभ्यारण
  • चूरू में स्थित।
  • काले हिरण के लिए प्रसिद्ध
  1. कुंभलगढ़ अभ्यारण
  • पाली राजसमंद तथा उदयपुर में स्थित।
  • जंगली भेड़ियों के लिए प्रसिद्ध।
  • पैंथर प्रोजेक्ट से संबंधित
  1. रावली टॉडगढ़ अभ्यारण, अजमेर पाली तथा राजसमंद में स्थित।
  2. रामगढ़ विषधारी अभ्यारण, बूंदी में स्थित।

राजस्थान का पर्यटन

  • विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का दूसरा सबसे बड़ा उद्योग।
  • यूनेस्को समिति की सिफारिश पर उद्योग का दर्जा 1989 में दिया गया।
  1. मेवाड़ वागड़ धार्मिक सर्किट, उदयपुर डूंगरपुर बांसवाड़ा से संबंधित।
  2. बुद्धा सर्किट, जयपुर तथा झालावाड़ सम्मिलित।
  3. कृष्णा सर्किट,
  • कृष्ण भगवान से संबंधित।
  • गोविंद जी का मंदिर जयपुर सम्मिलित।
  • खाटू श्याम जी का मंदिर सीकर सम्मिलित।
  • श्रीनाथजी का मंदिर नाथद्वारा सम्मिलित।
  1. मरू त्रिकोण, जोधपुर जैसलमेर बीकानेर से संबंधित।

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वन एवं जीव प्राणी अभयारण्य से क्या आशय है?

  • वन्यप्राणी अभयारण्य-ये कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ वन्यप्राणी सुरक्षित रहते हैं । यहाँ जन्तुओं को अथवा प्राणियों को मारना या शिकार करना अथवा पकड़ना पूर्णत: निषिद्ध होता है। यहाँ संकटापन्न जन्तुओं को सुरक्षित और संरक्षित रखा जाता है।

वन एवं वन्य जीव संरक्षण क्या है?

  • वन्यजीव संरक्षण को वन्यजीवों को असमान हत्या और अवैध शिकार से बचाने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसमें लोगों को वन्यजीवों के महत्व के बारे में बताकर उन्हें जागरूक करने का अभ्यास भी शामिल है। खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन बनाए रखने के लिए वन्यजीव संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है।


वन्य जीव अभयारण्य कौन-कौन से हैं?

  • रणथम्भौर अभ्यारण्य (सवाई माधोपुर) –
  • केवलादेव (घना) अभ्यारण्य (भरतपुर) –
  • मरु राष्ट्रीय उद्यान (जैसलमेर, बाङमेर) –
  • सरिस्का अभ्यारण्य (अलवर) – अन्य पर्यटन स्थल –
  • सीतामाता अभ्यारण्य (चित्तौङगढ़) –
  • बस्सी अभ्यारण्य (चित्तौङगढ़) –
  • चम्बल घङियाल अभ्यारण्य –
  • कुंभलगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य –


राजस्थान में कुल कितने पर्यटन संभाग हैं?

  • ‣ राजस्थान का नवीनतम पुरातात्विक संभाग अजमेर है। राजस्थान में पर्यटन सर्किट की संख्या 10 है।


राजस्थान में कितने पर्यटन स्थल हैं?

  • अजमेर की ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह। जोधपुर - घंटाघर ,जोधपुर ,मेहरानगढ़ दुर्ग के लिए तथा धोरों के लिए काफी प्रसिद्ध है। बाड़मेर और बीकानेर जो अपनी हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है। जैसलमेर - अपनी हवेलियों तथा रेगिस्तानी धोरों तथा सुनहरे पत्थरों के लिए जाना जाता है


राजस्थान में कौन-कौन सी चीजें देखने लायक हैं?

  • यहाँ के कुछ मुख्य पर्यटन स्थलों में- हवा महल, आमेर किला, जंतर-मंतर, नाहरगढ़ किला, सिटी पैलेस, चोखी धानी, अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम व बिरला मंदिर आदि शामिल है। यह शहर सुंदर किलों, मंदिरों व संग्रहालय आदि से अपनी शोभा बढ़ाता है।

मृदा संसाधन और कृषि | Rajasthan Geography (राजस्थान का भूगोल)

मृदा संसाधन और कृषि | Rajasthan Geography (राजस्थान का भूगोल)

 Rajasthan Geography (राजस्थान का भूगोल): ऐतिहासिक घटनाक्रम, भौतिक विभाग, राजस्थान की मिट्टिया, जलवायु एवं ऋतुए, प्राकृतिक वनस्पति, अपवाह तंत्र, खारे पानी की झीले, मीठे पानी की झीले, बांध और परियोजनाएं, कृषि और उद्यानिकी, पशुधन, जनसँख्या और साक्षरता, शिक्षा और शिक्षण संस्थान, चिकित्सा, उद्योग, खनिज, ऊर्जा, प्राकृतिक तेल और गैस , सहकारी तंत्र, खेलकूद, पर्यटन, परिवहन, राष्ट्रीय पार्क और अभ्यारण, ऐतिहासिक परिद्रस्य , किले, राजस्थान की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक स्थिति, प्रदेश की बोलिया, स्वतंत्रता संग्राम, एकीकरण, राजस्थान के किसान आंदोलन, स्वतन्त्रा सेनानी, वैज्ञानिक शोध, जातिया और जनजातिया, जन जीवन, राजस्थानी कहावतें, संत सम्प्रयदाय, लोक देवता, लोकदेविया, धार्मिक स्थल, चित्रकला, मेले और त्योहार, रीतिरिवाज़ , लोक प्रथाएं, खान पान, वेशभूषा और आभूषण , हस्त कला, लोकनाट्य, लोक वाद्य यन्त्र, जिला प्रशासन , वैधानिक संस्थाए, पंचायती राज, पप्रमुख योजनाए और कार्यक्रम, विविध   

मृदा संसाधन

मृदा संसाधन और कृषि

महत्वपूर्ण तथ्य

  • राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली में स्थित है।
  • इसके अनुसार मृदा को आठ भागों में बांटा गया है

मृदा का वैज्ञानिक वर्गीकरण

वैज्ञानिक वर्गीकरण के आधार पर मृदा को पांच भागों में बांटा गया है।
  • कृषि उपयोगिता के आधार पर मिट्टी का प्रकार होता है।
  • कृषि से संबंधित लगभग 15 विभाग है।

मृदा का वैज्ञानिक वर्गीकरण

  1. रेतीली मिट्टी या एंटीसोल
  • रेतीली मिट्टी का विस्तार थार के मरुस्थल में है।
  • भारत के पश्चिमी राजस्थान में रेतीली मिट्टी सर्वाधिक है।
  • मरुस्थल का निर्माण से पहले यहां पर टेथीस सागर था।
  • इस मिट्टी की क्षारीयता ज्यादा होती है।
  1. जलोढ़ मृदा या एल्फी सोल मृदा
  • पूर्वी मैदानी प्रदेश में इसका विस्तार है।
  • नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी होती है।
  • यह मिट्टी सर्वाधिक उपजाऊ होती है।
  1. काली मृदा या वर्टीसोल मिट्टी
  • हाडोती के पठार में इसका विस्तार है।
  • ज्वालामुखी के लार्वा से निर्मित।
  • इसकी जलधारण क्षमता अधिक है।
  1. पर्वतीय मिट्टी
  • अरावली पर्वतीय प्रदेश में पाई जाती है।
  • लोहा ऑक्साइड सर्वाधिक मात्रा में।
  • लाल रंग की होती है।
  • मक्का के लिए सर्वाधिक उपयुक्त।
  • भीलवाड़ा तथा उदयपुर में सर्वाधिक।
  1. एरिडिसोल
  • शुष्क जलवायु प्रदेश में पाई जाती है।
  • पश्चिमी राजस्थान में फैली हुई।

कृषि उपयोगिता के आधार पर मृदा का वर्गीकरण।

  1. जलोढ़ मिट्टी
  • नदी बेसिन में पाई जाती है।
  • पूर्वी मैदानी प्रदेश
  1. मध्य काली मिट्टी
  • कपास या रेगुर मिट्टी
  • हाडोती के पठार में पाई जाती है।
  1. लाल अथवा पर्वतीय मिट्टी
  • दक्षिणी राजस्थान में लाल लोमी मिट्टी पाई जाती है।
  • इस मिट्टी में लोह तत्व की अधिकता होती है।
  • डूंगरपुर बांसवाड़ा में इसका विस्तार है।
  1. लाल काली मृदा
  • चित्तौड़गढ़ कोटा में पाई जाती है।
  1. रेतीली बलुई मिट्टी
  • यह मिट्टी कम उपजाऊ होती है।
  1. लाल पीली मिट्टी या भूरी मिट्टी
  • राजसमंद बनास बेसिन में पाई जाती है।
  • टोंक सवाई माधोपुर में विस्तार।
  1. रेतीली भूरी मिट्टी
  • नागौर जोधपुर में पाई जाती है।

रेतीली भूरी मिट्टी की समस्या


A. लवणीयता

  • खारापान होता है।
  • पश्चिमी राजस्थान में पाई जाती है।

B. अम्लीयता

  • अम्ल वर्षा के कारण
  • पूर्वी राजस्थान में पाई जाती है।
  • रॉक फास्फेट का प्रयोग किया जाता है।

C. सैम की समस्या

  • उत्तरी राजस्थान प्रमुख रूप से गंगानगर हनुमानगढ़ में पाई जाती है।
  • इंदिरा गांधी नहर परियोजना के पास का क्षेत्र प्रभावित।

D. भू अवक्रमण

  • कृषि सिंचित क्षेत्र
  • रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग होना।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड 19 फरवरी 2015 को जारी किएगए।
  • सूरतगढ़ से मृदा स्वास्थ्य कार्ड की शुरुआत हुई।

E. खरपतवार

  • फसल के साथ उगने वाले अनावश्यक पौधे।
  • निराई करके खरपतवार निकाला जा सकता है।

कृषि

  1. बारानी कृषि
  • पूर्णत: वर्षा पर आधारित
  • पश्चिमी राजस्थान जोधपुर का क्षेत्र।
  1. मिश्रित कृषि
  • कृषि के साथ-साथ पशुपालन किया जाता है।
  • पूर्वी राजस्थान का क्षेत्र।
  1. रिले क्रॉपिंग
  • एक खेत में एक वर्ष में चार फसल लगाना।
  1. प्रसविधा कृषि
  • समझौते के आधार पर कृषि करना।
  1. जैविक कृषि
  • परंपरागत कृषि को बढ़ावा देना।
  • इसमें रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है।
  1. झूम कृषि
  • स्थानांतरित कृषि के नाम से जाना जाता है।

कृषि को बढ़ावा देने वाली क्रांतियां।

  1. हरित क्रांति
  • एकड़ भूमि में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना।
  • विश्व में हरित क्रांति का जनक नॉर्मन बारलोग था।
  • विश्व में हरित क्रांति की शुरुआत 1950 में हुई।
  • भारत में हरित क्रांति का जनक एम एस स्वामीनाथन है।
  • भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1966 में हुई थी।
  • हरित क्रांति में सर्वाधिक प्रभावित खाद्यान्न गेहूं है।
  1. श्वेत क्रांति
  • दुग्ध उत्पादन से संबंधित।
  • डेयरी विकास को बढ़ावा देना।
  • 1970 में इसकी शुरुआत हुई।
  • वर्गीज कुरियन का महत्वपूर्णयोगदान।
  • ऑपरेशन फ्लड से संबंध।
  • आनंद गुजरात में प्रथम डेयरी अमूल की स्थापना।
  • अमूल की स्थापना 1970 में हुई।
  • राजस्थान में 1971 में पदमा डेयरी की स्थापना अजमेर में हुई।
  1. डेयरी विकास
  • 1975 में राजस्थान में डेयरी विकास निगम की स्थापना की गई।
  • 1977 में राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन की स्थापना की गई।
राज्य स्तर पर प्रमुख संस्थाएं
जिला स्तर पर जिला सहकारी डेयरी संघ के नाम से जाना जाता है।
दूध विपणन के कार्य से संबंधित।

   
  • अन्नपूर्णा दुग्ध योजना
  • 20 जुलाई 2018 को प्रारंभ।
  • प्राथमिक स्तर संस्था के द्वारा प्रारंभ।

विभिन्न क्रांतियां

  1. नीली क्रांति मछली पालन से संबंधित है।
  2. गुलाबी क्रांति झींगा मछली से संबंधित है।
  3. पीली क्रांति सरसों से संबंधित है।
  4. गोल क्रांति आलू से संबंधित है।
  5. रजत क्रांति अंडा उत्पादन से संबंधित है।
  6. लाल क्रांति टमाटर से संबंधित है।
  7. बादामी क्रांति मसाला से संबंधित है।
  8. सुनहरी क्रांति सब्जी तथा फल से संबंधितहै।
  9. काली क्रांति कृषि अफीम तथा ऊर्जा पेट्रोलियम से संबंधित है।
  10. भूरी क्रांति खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित है।
  11. इंद्रधनुष्य क्रांति कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने से संबंधित है।
  12. राजेंद्र क्रांति सोफ उत्पादन से संबंधित है।
  13. अमृत क्रांति नदियों को जोड़ने से संबंधित है।

विभिन्न प्रकार की फसले

  1. रबी की फसल
  • गेहूं और जो खाद्यान्न फसल है।
  • चना मटर मसूर दलहन फसल है।
  • तारामीरा सरसों सूरजमुखी अलसी तिलहन से संबंधित फसल है।
  • जीरा धनिया सोफ मेथी मसाले से संबंधित है।
  1. खरीफ की फसल
  • बाजरा, मक्का, चावल, ज्वार, मूंग, मोठ, ग्वार, तिल, मूंगफली, अरंडी, सोयाबीन, कपास, गन्ना इत्यादि।
  1. जायद की फसल
  • तरबूज खरबूज ककड़ी से संबंधित।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • सर्वाधिक बंजर भूमि जैसलमेर में है।
  • न्यूनतम बंजर भूमि राजसमंद में है।

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मृदा संसाधन क्या हैं?

  • मृदा संसाधन मृदा की ऊपरी परतों (क्षितिज) से मिलकर बनते हैं जो जैविक प्रणाली बनाते हैं । मृदा संसाधनों का लेखा-जोखा कटाव या क्षरण के कारण खोए गए मृदा संसाधनों के क्षेत्र और मात्रा के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है, या भूमि आवरण और अन्य स्रोतों में परिवर्तन के कारण अनुपलब्ध हो सकता है।

मिट्टी को प्राकृतिक संसाधन क्यों कहा जाता है?

  • मृदा को महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन माना जाता है क्योंकि यह कृषि के लिए अनिवार्य है तथा कृषि हम सभी को भोजन, कपड़ा और आश्रय प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त मृदा अनेक जीवों को आवास भी प्रदान करती है।

मृदा संसाधन क्या है class 8th?

  • मृदा एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। ... मृदा का निर्माण शैलों के अपघटन क्रिया से होता है। मृदा के निर्माण में कई प्राकृतिक कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है; जैसे कि तापमान, पानी का बहाव, पवन। इस प्रक्रिया में कई भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों का भी योगदान होता है

मृदा संसाधनों का संरक्षण कैसे किया जा रहा है?

  1. जैविक खाद जैविक खेती में बहुत सी खादों का प्रयोग किया जाता है, किन्तु जैविक खाद के प्रयोग से भूमि अवस्था में सुधार होता है, जिससे भूमि में वायु संचार में वृद्धि होती है, जीवांश पदार्थ का निर्माण होता है। ...
  2. वन संरक्षण ...
  3. वृक्षारोपण ...
  4. बाढ़ नियंत्रण ...
  5. नियोजित चराई ...
  6. बंध बनाना ...
  7. सीढ़ीदार खेत बनाना ...
  8. समोच्चरेखीय जुताई (कण्टूर जुताई)

कृषि का अर्थ क्या होता है?

  • भूमि पर खेती करने, फसलें पैदा करने और पशुपालन करने का विज्ञान, कला या अभ्यास , तथा विभिन्न स्तरों पर परिणामी उत्पादों की तैयारी और विपणन, भूमि को कृषि के लिए उपयोग करने हेतु साफ करना

कृषि के 4 प्रकार क्या हैं?

  • कृषि के चार प्रकार: पशुचारण, स्थानान्तरित खेती, निर्वाह खेती, गहन खेती - पशुपालन - कृषि का यह रूप मुख्य रूप से पशुओं को पालने पर केंद्रित है। मवेशी, भेड़, बकरी आदि जैसे पशुओं को चरागाहों में पाला जाता है।

खेती कितने प्रकार की होती है?

  • भारत में मुख्य रूप से तीन फसलें होती हैं- खरीफ, रबी और जायद। किसी समय-चक्र के अनुसार वनस्पतियों या वृक्षों और पौधों पर से इंसानों या पशुओं के उपभोग के लिए उगाकर काटी या तोड़ी जाने वाली पैदावार को फसल कहा जाता हैं। ये किसानों द्वारा उगाए जाने वाले वे पौधे या पेड़ हैं, जिनकी खेती किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर की जाती है।
राजस्थान के प्रमुख उद्योग | Rajasthan Geography (राजस्थान का भूगोल)

राजस्थान के प्रमुख उद्योग | Rajasthan Geography (राजस्थान का भूगोल)

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राजस्थान के प्रमुख उद्योग
राजस्थान के प्रमुख उद्योग

राजस्थान के उद्योग

  • A. निवेश के आधार पर
  • B. कच्चे माल की उपलब्धता के आधार पर

A. निवेश के आधार पर उद्योग

  1. अति लघु उद्योग
  2. लघु उद्योग
  3. मध्यम उद्योग
  4. अति लघु उद्योग
  1. अति लघु उद्योग
  • वे उद्योग जिम मशीनरी तथा संयंत्र के लिए निवेश 25 लाख हो।
  • सेवा क्षेत्र में 10 लाख।
  1. लघु उद्योग
  • 25 लाख से 5 करोड़ तक की पूंजी का निवेश।
  • 10 लाख से 2 करोड़ सेवा क्षेत्र में निवेश।
  1. मध्यम उद्योग
  • 5 करोड़ से 10 करोड़ मशीनरी।
  • 2 करोड़ से 5 करोड़ सेवा क्षेत्र में।
*सूक्ष्म लघु मध्यम उद्योग
20 नवंबर 2015

कुटीर उद्योग

  • वह उद्योग जिनमें कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ हो तथा वह पूर्ण काल तथा अंशकाल के साथ व्यवसाय करता है।

B. कच्चे माल की उपलब्धता के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण।

  1. कृषि आधारित उद्योग
  2. खनिज आधारित उद्योग
  3. रसायन आधारित उद्योग
  4. कृषि आधारित उद्योग

कृषि आधारित उद्योग

  • सूती वस्त्र उद्योग
  • चीनी उद्योग
  • शराब उद्योग
  • वनस्पति घी उद्योग
  • मिल्क पाउडर उद्योग
  • बायोडीजल उद्योग

C. खनिज आधारित उद्योग

  • सीमेंट उद्योग
  • कांच उद्योग
  • अभ्रक ईट उद्योग
  • संगमरमर मूर्ति उद्योग
  • रत्न उद्योग

D. रसायन आधारित उद्योग

  • नमक उद्योग
  • रासायनिक उर्वरक उद्योग
  • टायर ट्यूब उद्योग

परंपरागत संगठित उद्योग

वस्त्र मिल

  1. द कृष्णा मिल ब्यावर
  • 1890 में स्थापना
  • दामोदर दास के द्वारा स्थापित
  • निजी क्षेत्र में शुरुआत
  • सार्वजनिक उद्योग का दर्जा 1974 में दिया गया
  1. एडवर्ड,
  • ब्यावर
  • 1906 में स्थापित
  1. महालक्ष्मी
  • ब्यावर
  • 1925 में स्थापित

प्रमुख सहकारी मिल

  1. राजस्थान सहकारी कताई मिल
  • भीलवाड़ा
  • 1905 में स्थापित
  1. गंगानगर कताई मिल
  • 1978 में स्थापित
  • हनुमानगढ़
  1. गंगापुर सहकारी मिल
  • गंगापुर, भीलवाड़ा
  • 1981 में स्थापित
  1. राजस्थान सहकारी मिल

गुलाबपुरा, भीलवाड़ा

महत्वपूर्ण बिंदु

भीलवाड़ा को वस्त्र नगरी, टेक्सटाइल सिटी तथा मैनचेस्टर के नाम से जाना जाता है।
भीलवाड़ा में सूती वस्त्र के सर्वाधिक कारखानेहैं।

चीनी उद्योग

  1. द मेवाड़ शुगर मिल
  • भोपाल सागर, चित्तौड़गढ़ में स्थित।
  • 1932 में स्थापना
  1. गंगानगर शुग रमिल
  • गंगानगर में स्थित
  • 1956 में सरकार द्वारा अधिग्रहित
  • 1968 में चुकंदर से चीनी बनाने का काम शुरू किया।

शराब उद्योग

  • वर्तमान में शराब के सर्वाधिक कारखाने अलवर में स्थित है।
  • अलवर को राजस्थान का स्कॉटलैंड कहते हैं।

वनस्पति घी उद्योग

  • इसके प्रमुख 6 कारखाने हैं।
  • भीलवाड़ा जयपुर चित्तौड़गढ़ इत्यादि प्रमुख है।

मिल्क पाउडर कारखाना

  1. एग्रो फूड पार्क
  • यह कोटा में स्थित है।
  • 2015 में शुरुआत

सीमेंट उद्योग

  • संपूर्ण भारत में राजस्थान अग्रणी है।
  • अधिकतम कारखाने आंध्र प्रदेश में है।

सीमेंट उद्योग के प्रमुख कारखाने

  1. लाखेरी, बूंदी
  • क्लिक निक्सन कंपनी द्वारा स्थापित।
  • 1915 में स्थापना
  1. चित्तौड़गढ़
  • जेके सीमेंट, निंबाहेड़ा (अधिकतम क्षमता)
  • बिरला सीमेंट
  • वंडर सीमेंट
  • चेतक सीमेंट
  • लाफार्ज सीमेंट, निंबाहेड़ा
  1. कोटा
  • श्री राम सीमेंट, रामनगर (सबसे कम क्षमता)
  • मंगलम सीमेंट
  1. अजमेर
  • श्री सीमेंट
  • राजश्री सीमेंट
  1. उदयपुर सीमेंट
  • हिंदुस्तान सीमेंट
  1. बांसवाड़ा
  • माही सीमेंट
  1. सिरोही
  • बिनानी सीमेंट
  • जेके लक्ष्मी सीमेंट

सफेद सीमेंट के कारखाने

  1. नागौर
  • गोटन जेके व्हाइट सीमेंट
  • 1984 में स्थापित।
  • सबसे बड़ा उत्पादक
  1. जोधपुर
  • खारिया खंगार
  • बिरला व्हाइट सीमेंट
  • 1988 में स्थापित
  1. नागौर
  • अंबुजा व्हाइट सीमेंट
  • 2011 में स्थापित

C. खनिज आधारित उद्योग

  1. धौलपुर

कांच उद्योग

  • उच्च गुणवत्ता की सिलिका उपलब्ध।
  • द हाईटेक प्रीसीजन (सार्वजनिक उपक्रम)
  • 1965 में स्थापित
  • धौलपुर ग्लास फैक्ट्री (निजी उपक्रम)
  • 1968 में स्थापित।
  • 1975 से कार्यरत।
  1. कोटा
  • सिमकोर ग्लास फैक्ट्री
  • टीवी ट्यूब के लिए प्रसिद्ध
  1. भिवाड़ी अलवर
  • सेंट घोबेन
  • फ्रांस द्वारा स्थापित

अन्य उद्योग

  • अभ्रक ईट उद्योग भीलवाड़ा का प्रसिद्ध है।
  • संगमरमर मूर्ति उद्योग जयपुर का प्रसिद्ध है।
  • रत्न उद्योग जयपुर का प्रसिद्ध है।

रसायन आधारित उद्योग

  1. नमक उद्योग
  • सांभर साल्ट लिमिटेड
  • 1964 में स्थापित
  • वर्तमान में अधिकतम उत्पादन।
  1. राजस्थान साल्ट वर्क
  • पंचभद्रा में स्थापित
  • खाने योग्य अच्छा नमक निर्मित होता है।
  1. सोडियम सल्फेट का कारखाना
  • डीडवाना नागौर में स्थित
  • रंगाई छपाई में प्रयुक्त किया जाता है।
  • रासायनिक उर्वरक उद्योग
  1. श्रीराम फर्टिलाइजर
  • कोटा में स्थित
  • पहला कारखाना।
  1. चंबल फर्टिलाइजर
  • गढ़ेपान कोटा में स्थित
  • अमोनियम सल्फेट का प्रथम कारखाना
  1. जामर कोटडा फर्टिलाइजर
  • उदयपुर में स्थित
  1. हिंदुस्तान जिंक फर्टिलाइजर
  • चित्तौड़गढ़ में स्थित।
  • हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड कपासन, चित्तौड़गढ़ द्वारा स्थापित।

C. स्वामित्व के आधार पर उद्योग

  1. निजी उद्योग
  2. सार्वजनिक उद्योग
  3. बहुराष्ट्रीय कंपनी

निजी उद्योग

  • वह उद्योग जिस पर किसी व्यक्ति या संस्था का स्वामित्व हो।

सार्वजनिक उद्योग

  • वह उद्योग जिस पर सरकार का स्वामित्व हो।
  • केंद्र तथा राज्य सरकार के स्वामित्व शामिल।

बहुराष्ट्रीय कंपनी

  • वह उद्योग जिस पर दो या दो से अधिक देशों में व्यावसायिक गतिविधियां करने वाली कंपनी का स्वामित्व हो।

राजस्थान में केंद्र सरकार के उपक्रम

  1. हिंदुस्तान सांभर साल्ट लिमिटेड, जयपुर 1962
  2. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड
देबारी, उदयपुर (अमेरिका के सहयोग से)
चंदेरिया, चित्तौड़गढ़ (ब्रिटेन के सहयोग से)
राजपुरा, दरीबा, राजसमंद
  1. हिंदुस्तान मशीन टूल लिमिटेड
  • 1967 में स्थापित
  • अजमेर में स्थित
  • 2016 से बंद
  1. इंडियन इंस्ट्रूमेंट्स लिमिटेड
  • 1967 में स्थापित
  • कोटा में स्थित
  1. इंडियन ड्रग्स एंड फार्मा लिमिटेड
  • 1980 में स्थापित
  • जयपुर में स्थित
  1. हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड
  • खेतड़ी झुंझुनू में स्थित
  • 1967 में स्थापित
  • अमेरिका के सहयोग से।
  1. राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक और इंजीनियरिंग लिमिटेड
  • जयपुर में स्थित
  • 1982 में स्थापित
  • जर्मनी के सहयोग से
  1. मॉडर्न बेकरीज
  • जयपुर में स्थित
  • 1965 में स्थापित
  1. नेशनल बेरिंग कॉरपोरेशन
  • जयपुर में स्थित
  • 1964 में स्थापित

बहुराष्ट्रीय कंपनी

  1. होंडा स्कूटर
  • टपूकड़ा अलवर
  • जापानी कंपनी के सहयोग से
  1. होंडा कार
  • खुशखेड़ा, अलवर
  • जापानी कंपनी के सहयोग से
  1. कोटडा ऑटोमोबाइल
  • गिलोट, अलवर में स्थित
  • दक्षिण कोरिया कंपनी के सहयोग से
  1. पिरटो कंपनी
  • एटीएम मशीन कारखाना
  • मनोहरपुर जयपुर में स्थित
  1. जिले इंडिया
  • स्टेनलेस स्टील के लिए प्रसिद्ध।
  • अमेरिकन कंपनी के सहयोग से
  1. निप्पन कंपनी
  • ऑटोमोबाइल से संबंधित
  • थाईलैंड कंपनी के सहयोग से

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राजस्थान में सबसे बड़ा उद्योग कौन सा है?

  • सूती वस्त्र उद्योग राजस्थान का सबसे प्राचीन और परंपरागत संगठित उद्योग है। इस उद्योग में रेलवे के बाद सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध होता है। वर्तमान में राज्य में सूती वस्त्र का उत्पादन मुख्यतः पाली, ब्यावर, भीलवाड़ा, कोटा, चित्तौड़गढ़, जयपुर, श्रीगंगानगर, किशनगढ़ और बांसवाड़ा में किया जाता है।


राजस्थान में कितने उद्योग हैं?

  • सही उत्तर 36 है। राजस्थान में, राज्य में काम करने वाले 36 जिला उद्योग केंद्र (DIC) और आबू रोड, बालोतरा, ब्यावर, फालना, किशनगढ़, मकराना, नीमराना और सुजानगढ़ में 8 जिला उद्योग उप-केंद्र भी सूक्ष्म, लघु और मध्यम (MSME) क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थापित किए गए हैं।


राजस्थान का प्रसिद्ध उद्योग कौन सा है?

  • राजस्थान के मुख्य उद्योगों में कपड़ा, कालीन, ऊनी सामान, वनस्पति तेल और रंग शामिल हैं। भारी उद्योगों में तांबा और जस्ता प्रगलन और रेलवे रोलिंग स्टॉक का निर्माण शामिल है।


राजस्थान में कृषि आधारित उद्योग कौन से हैं?

  • कृषि-आधारित उद्योग-धंधों में कपास उद्योग, गुड व खांडसारी, फल व सब्जियों-आधारित, आलू-आधारित कृषि उद्योग, सोयाबीन-आधारित, तिलहन-आधारित, जूट-आधारित व खाद्य संवर्धन-आधारित आदि प्रमुख उद्योग हैं।

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